Angel Nikita: the journey of an angel to earth

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बहुत दूर, तारा मंडल के उस पार, स्वर्गलोक के एक कोने में एक विशेष आत्मा थी — एंजेल निकिता। बाकी स्वर्गदूतों की तरह वह भी सुंदर, शांत और प्रकाशमयी थी। लेकिन उसमें एक खास बात थी — उसका हृदय असाधारण रूप से करुणामयी था।
जब अन्य एंजेल संगीत बजाते या फूलों से स्वर्ग को सजाते, निकिता धरती की ओर निहारती — जहाँ लोग दुःख, युद्ध, और अकेलेपन में जी रहे थे। वह सोचती, “क्यों न मैं उनके बीच जाऊं? क्यों न किसी को उनकी तकलीफ में सहारा बनूं?”
स्वर्ग की सबसे बुज़ुर्ग आत्मा ने कहा —
“यदि तुम धरती पर जाओगी, तो तुम्हारी शक्तियाँ सीमित होंगी। दर्द सहना होगा, धोखा मिलेगा, लेकिन अगर तुम्हारा प्रेम सच्चा होगा, तो तुम इंसानों की दुनिया बदल सकती हो।”
निकिता मुस्कुराई और बोली:
“मैं तैयार हूँ।”
भाग 1: धरती पर आगमन
एक शांत रात थी। गाँव प्रभापुर के आसमान में अचानक एक तेज़ रोशनी फैली। लोग समझे कोई तारा टूटा है। पर अगले दिन नदी किनारे एक लड़की मिली — सफेद वस्त्रों में, अधखुली आँखों में शांति, पर पहचान शून्य।
वही थी — एंजेल निकिता।
उसे गाँव के एक वृद्ध दंपति ने अपना लिया। कोई नहीं जानता था वह कहाँ से आई, लेकिन उसमें कुछ खास था — जहाँ जाती, वहाँ दुख कम हो जाते, और लोगों का चेहरा खिल उठता।
भाग 2: निकिता की अद्भुत शक्तियाँ
धीरे-धीरे लोगों को उसकी खासियत पता चलने लगी:
• बीमार बच्चा उसका स्पर्श पाकर ठीक हो जाता।
• जो पशु बीमार थे, वो उसके गले लगते ही फिर से हिलने लगते।
• पेड़-पौधे जहां वह बैठती, वहां और अधिक हरे हो जाते।
लेकिन निकिता कभी नहीं चाहती थी कि लोग उसे “चमत्कारी देवी” मानें। वह कहती:
“मैं भी तुम्हारी तरह एक लड़की हूँ, बस मेरा दिल थोड़ा ज़्यादा सुनता है दूसरों की तकलीफें।”
भाग 3: धरती की सच्चाई
एक दिन गाँव में एक व्यापारी आया — शहर से। उसने देखा कि लोग निकिता को पूजते हैं। वह ईर्ष्या करने लगा। उसने अफवाह फैलाई कि “निकिता एक छलिया है, कोई जादूगरनी।”
लोगों का विश्वास डगमगाने लगा। किसी ने उसके घर पत्थर फेंका, किसी ने ताना मारा —
“अगर तू परी है, तो खुद को बचा ले!”
उस दिन निकिता रोई। पर स्वर्ग से कोई शक्ति नहीं आई।
भाग 4: मानवता की परीक्षा
वही व्यापारी गाँव की नदी के पास ज़हर डालने वाला था — ताकि लोग बीमार पड़ें और फिर वह अपनी दवाइयां बेच सके।
निकिता ने जब यह जाना, तो वह दौड़ी — नदी में छलांग लगाई और सबके सामने उसे रोका। खुद ज़हर से बीमार हो गई।
गाँव के लोग अब जागे। उन्हें अपनी गलती का पता चला और शर्मिदा हुए ।
भाग 5: चमत्कार या प्रेम?
निकिता की हालत गंभीर थी। गाँव के बच्चे, जिनसे उसने कहानियाँ सुनाई थीं, वह सब रोते हुए उसके पास बैठे थे।
तभी निकिता ने मुस्कुराकर कहा:
“अगर तुम लोग एक-दूसरे से प्रेम करोगे, तो मुझे मरने का दुख नहीं होगा।”
उसके माथे से एक सफेद रोशनी निकली — और वह हवा में विलीन हो गई।
निकिता का शरीर अचानक गायब हो गया, लेकिन निकिता की उपस्थिति, और उसकी ऊर्जा हर जगह फैल गई।
भाग 6: निकिता अब भी है
वर्षों बीत गए। प्रभापुर अब एक सुंदर, शांत और मिलनसार गाँव बन चुका है। वहाँ हर साल एक “निकिता उत्सव” होता है — जहाँ कोई झूठ नहीं बोलता, कोई भूखा नहीं सोता, और हर बच्चा कहानियाँ सुनता है।
सीख जो मिलती है:
• किसी का दर्द बाँटने के लिए पंख नहीं, सिर्फ करुणा भरा दिल चाहिए।
• प्रेम बहुत दूर, तारा मंडल के उस पार, स्वर्गलोक के एक कोने में एक विशेष आत्मा थी — एंजेल निकिता। बाकी स्वर्गदूतों की तरह वह भी सुंदर, शांत और प्रकाशमयी थी। लेकिन उसमें एक खास बात थी — उसका हृदय असाधारण रूप से करुणामयी था।
जब अन्य एंजेल संगीत बजाते या फूलों से स्वर्ग को सजाते, निकिता धरती की ओर निहारती — जहाँ लोग दुःख, युद्ध, और अकेलेपन में जी रहे थे। वह सोचती, “क्यों न मैं उनके बीच जाऊं? क्यों न किसी को उनकी तकलीफ में सहारा बनूं?”
स्वर्ग की सबसे बुज़ुर्ग आत्मा ने कहा —
“यदि तुम धरती पर जाओगी, तो तुम्हारी शक्तियाँ सीमित होंगी। दर्द सहना होगा, धोखा मिलेगा, लेकिन अगर तुम्हारा प्रेम सच्चा होगा, तो तुम इंसानों की दुनिया बदल सकती हो।”
निकिता मुस्कुराई और बोली:
“मैं तैयार हूँ।”
भाग 1: धरती पर आगमन
एक शांत रात थी। गाँव प्रभापुर के आसमान में अचानक एक तेज़ रोशनी फैली। लोग समझे कोई तारा टूटा है। पर अगले दिन नदी किनारे एक लड़की मिली — सफेद वस्त्रों में, अधखुली आँखों में शांति, पर पहचान शून्य।
वही थी — एंजेल निकिता।
उसे गाँव के एक वृद्ध दंपति ने अपना लिया। कोई नहीं जानता था वह कहाँ से आई, लेकिन उसमें कुछ खास था — जहाँ जाती, वहाँ दुख कम हो जाते, और लोगों का चेहरा खिल उठता।
भाग 2: निकिता की अद्भुत शक्तियाँ
धीरे-धीरे लोगों को उसकी खासियत पता चलने लगी:
• बीमार बच्चा उसका स्पर्श पाकर ठीक हो जाता।
• जो पशु बीमार थे, वो उसके गले लगते ही फिर से हिलने लगते।
• पेड़-पौधे जहां वह बैठती, वहां और अधिक हरे हो जाते।
लेकिन निकिता कभी नहीं चाहती थी कि लोग उसे “चमत्कारी देवी” मानें। वह कहती:
“मैं भी तुम्हारी तरह एक लड़की हूँ, बस मेरा दिल थोड़ा ज़्यादा सुनता है दूसरों की तकलीफें।”
भाग 3: धरती की सच्चाई
एक दिन गाँव में एक व्यापारी आया — शहर से। उसने देखा कि लोग निकिता को पूजते हैं। वह ईर्ष्या करने लगा। उसने अफवाह फैलाई कि “निकिता एक छलिया है, कोई जादूगरनी।”
लोगों का विश्वास डगमगाने लगा। किसी ने उसके घर पत्थर फेंका, किसी ने ताना मारा —
“अगर तू परी है, तो खुद को बचा ले!”
उस दिन निकिता रोई। पर स्वर्ग से कोई शक्ति नहीं आई।
भाग 4: मानवता की परीक्षा
वही व्यापारी गाँव की नदी के पास ज़हर डालने वाला था — ताकि लोग बीमार पड़ें और फिर वह अपनी दवाइयां बेच सके।
निकिता ने जब यह जाना, तो वह दौड़ी — नदी में छलांग लगाई और सबके सामने उसे रोका। खुद ज़हर से बीमार हो गई।
गाँव के लोग अब जागे। उन्हें अपनी गलती का पता चला और शर्मिदा हुए ।
भाग 5: चमत्कार या प्रेम?
निकिता की हालत गंभीर थी। गाँव के बच्चे, जिनसे उसने कहानियाँ सुनाई थीं, वह सब रोते हुए उसके पास बैठे थे।
तभी निकिता ने मुस्कुराकर कहा:
“अगर तुम लोग एक-दूसरे से प्रेम करोगे, तो मुझे मरने का दुख नहीं होगा।”
उसके माथे से एक सफेद रोशनी निकली — और वह हवा में विलीन हो गई।
निकिता का शरीर अचानक गायब हो गया, लेकिन निकिता की उपस्थिति, और उसकी ऊर्जा हर जगह फैल गई।
भाग 6: निकिता अब भी है
वर्षों बीत गए। प्रभापुर अब एक सुंदर, शांत और मिलनसार गाँव बन चुका है। वहाँ हर साल एक “निकिता उत्सव” होता है — जहाँ कोई झूठ नहीं बोलता, कोई भूखा नहीं सोता, और हर बच्चा कहानियाँ सुनता है।
सीख जो मिलती है:
• किसी का दर्द बाँटने के लिए पंख नहीं, सिर्फ करुणा भरा दिल चाहिए।
• प्रेम और सच्चाई, सबसे बड़ी शक्तियाँ हैं।
• जो इंसानियत के लिए जीते हैं, वो भले ही शरीर से जाएं, पर आत्मा से अमर हो जाते हैं।
• निष्कर्ष:
• एंजेल निकिता एक परी नहीं थी जो उड़ती थी, बल्कि वह एक ऐसा एहसास थी जो हर दिल में हो सकता है — यदि हममें दूसरों की मदद का भाव हो। आज की दुनिया में जरूरत है ऐसे ही फरिश्तों की — जो बिना शोर किए, सादगी से दूसरों के ज़ख्म भरें।

और सच्चाई, सबसे बड़ी शक्तियाँ हैं।
• जो इंसानियत के लिए जीते हैं, वो भले ही शरीर से जाएं, पर आत्मा से अमर हो जाते हैं।
• निष्कर्ष:
• एंजेल निकिता एक परी नहीं थी जो उड़ती थी, बल्कि वह एक ऐसा एहसास थी जो हर दिल में हो सकता है — यदि हममें दूसरों की मदद का भाव हो। आज की दुनिया में जरूरत है ऐसे ही फरिश्तों की — जो बिना शोर किए, सादगी से दूसरों के ज़ख्म भरें।