शिक्षा एक ऐसा साधन है जो राष्ट्र की सामाजिक–आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में एक जीवंत तथा वृहद भूमिका निभा सकता है। यह नागरिकों की विश्लेषण क्षमता सहित उनका सशक्तीकरण करता है, उनके आत्म विश्वास का स्तर बेहतर बनाता है और उन्हें शक्ति से परिपूर्ण करता है एवं दक्षता बढ़ाने के लक्ष्य तय करता है।
शिक्षा में केवल पाठ्य पुस्तकें सीखना शामिल नहीं है बल्कि इसमें मूल्यों, कौशलों तथा क्षमताओं में भी वृद्धि की जाती है। इससे व्यक्ति को अपने केरियर और साथ ही प्रगतिशील मूल्यों के साथ एक नए समाज के निर्माण में एक उपयोगी भूमिका निभाने में सहायता मिलती है। अत: शिक्षा व्व्यक्तिगत स्तर के साथ बेहतरी के लिए पूरे समाज में बदलाव ला सकती है। शिक्षा का क्षेत्र भारत सरकार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है, जिसके द्वारा प्रारंभिक शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए प्रावधानों तथा योजनाओं को नियमित रूप से तैयार किया जाता रहा है। शिक्षा का अधिकार भारतीय संविधान द्वारा एक मूलभूत अधिकार घोषित किया गया है। इसमें बताया गया है कि राज्य द्वारा 6 से 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को नि: शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा इस प्रकार प्रदान की जाएगी कि इसे कानून द्वारा निर्धारित किया जाए ।
शिक्षा मनुष्य के सम्यक् विकास के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। दूसरे शब्दों में, शिक्षा के बिना मनुष्य का सम्यक् अर्थात् सर्वांगीण विकास संभव नहीं है। शिक्षा के माध्यम से ही मनुष्य ज्ञान की ओर अग्रसर होता है और ज्ञान ही उसकी वैचारिक एवं बौद्धिक क्षमता की वृद्धि करता है। स्त्रियों, प्रौढ़जनों व अन्य अशिक्षित जनों को शिक्षा प्रदान करना हम सब का नैतिक कर्तव्य है। यह निस्संदेह देश के विकास के लिए एक उपयोगी कदम है। देश भर में चलाया गया सर्वशिक्षा अभियान इसी दिशा में उठाया गया एक सार्थक कदम है। सर्वशिक्षा अभियान का उद्देश्य राष्ट्रीय विकास के लिए जन-जन तक शिक्षा को पहुँचाना है ताकि रूढ़िवादी परंपराओं के अंधकार से निकालकर मनुष्य ज्ञान के प्रकाश की ओर उम्मुख हो सके l इस अभियान के अंतर्गत सभी को, विशेषकर उन व्यक्तियों को जो किसी कारणवश स्वयं शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके, उनमें पढ़ने की रुचि पैदा की जाती है। साथ ही उन्हें शिक्षा के महत्त्व को समझाया जाता है ताकि आने वाली पीढ़ियों को निरक्षर बने रहने से रोका जा सके l
सर्व शिक्षा अभियान का लक्ष्य-सर्व शिक्षा अभियान का लक्ष्य विद्यालयों के प्रबंधन में समुदाय की सक्रिय भागीदारी के साथ सामाजिक, क्षेत्रीय और लिंग सम्बंधी अंतरालों को पाटना है। आईसीडीएस केन्द्रों या गैर आईसीडीएस क्षेत्रों में विशेष शाला पूर्व केन्द्रों में शाला पूर्व सीखने के प्रयासों को समर्थन देने के सभी संभव प्रयास महिला और बाल विकास मंत्रालय के प्रयासों को पूरकता प्रदान करने हेतु किए जाते हैं।
सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य-सर्व शिक्षा अभियान समुदाय द्वारा एक मिशन के रूप में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के प्रावधान के माध्यम से सभी बच्चों में मानवीय क्षमताओं के उन्नयन के लिए अवसर प्रदान करने का एक प्रयास है। सर्व शिक्षा अभियान को निम्नलिखित विशिष्ट लक्ष्यों के साथ तय किया गया है l
सर्व शिक्षा अभियान में निजी क्षेत्र की बड़ी भूमिका -जबकि सर्व शिक्षा अभियान को सरकार तथा सरकारी प्राप्त स्कूलों के माध्यम से प्रशासित किया जा रहा है, कुछ निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूल भी सार्वत्रिक प्रारंभिक शिक्षा के प्रति योगदान में सक्रिय रूप से शामिल हैं। हाल ही में सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के दूसरे चरण के निधिकरण के लिए 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता के लिए विश्व बैंक के साथ समझौता किया है। सर्व शिक्षा अभियान भारत सरकार द्वारा प्रारंभिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण में एक महत्वपूर्ण प्रयास है जो नागरिकों को प्रारंभिक शिक्षा का महत्व समझने में प्रयासरत है। सामाजिक न्याय और समानता सभी को मूलभूत शिक्षा प्रदान करने के लिए एक सशक्त तर्क हैं। मूलभूत शिक्षा के प्रावधान से जीवन स्तर में सुधार भी आती है, विशेष रूप से जीवन अपेक्षा, शिशु मृत्यु दर और बच्चों की पौषणिक स्थिति।