कोरोना काल में स्कूल कैसे खोले जाएँ ?

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स्कूल कैसे खोले

अभी भी देश के कुछ राज्यों में  हर रोज़  संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. इस बीच हाल में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 1 सितंबर से  स्कूल खुल सकते हैं. हालांकि अबतक इसके बारे में सरकार की ओर से कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है । – स्कूल कैसे खोले

लेकिन अगर ऐसा कुछ फ़ैसला सरकार लेती है  तो इस वक़्त स्कूल खोलने के क्या ख़तरे होंगे और क्या ये कदम कोरोना वायरस के प्रकोप को और बढ़ाने का काम करेगा? ये एक यक्ष प्रश्न है । क्योंकि मामला छोटे बच्चो का है ।  

कुछ डॉक्टर्स केअनुसार  “बच्चों को ये बीमारी बहुत ज़्यादा परेशान नहीं करती है. हालांकि कुछ मामलों में ये ख़तरनाक जरूर साबित हुई है और बच्चों की मौत भी हुई है ।  लेकिन ऐसे मामले बहुत ही कम हैं ।  

डॉक्टर्स केअनुसार मौटे तौर पर बच्चों के लिए इस बीमारी का “एटिट्यूड काफी प्रोटेक्टिव” रहा है  । दुनियाभर में इस बीमारी की चपेट में आए लोगों में सिर्फ 2% ऐसे हैं, जो 18 साल की उम्र से कम है. उनके मुताबिक़, भारत में भी लगभग यही स्थिती है। – स्कूल कैसे खोले

डॉक्टर्स  के अनुसार  अगर स्कूल खोलने पर विचार हो ही रहा है तो “ये इस बात पर निर्भर करता है कि भारत के किस कोने में स्कूल खुलने हैं , जहां इस वक़्त मामले कम हैं, वहां तो स्कूल खोलने के बारे में सोच सकते हैं, लेकिन दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु जैसी ज़्यादा मामलों वाली जगहों पर 1 सितंबर स्कूल खोलने के लिए बहुत ही  जल्दीबजी वाला काम  हो जाएगा  । 

एक बात और आ रही है की अधिकांश  मां-बाप भी अभी स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं हैं  । हाल में लोकल सर्किल संस्था ने एक ऑनलाइन सर्वे करवाया था, जिसमें भारत के अलग-अलग हिस्सों से माता-पिता और दादा-दादी की ओर से 25 हज़ार से ज़्यादा प्रतिक्रियाएं मिलीं  58% लोगों ने कहा कि वो नहीं चाहते, की अभी स्कूल खुले ।

जब सर्वे में कंपनी ने  लोगों से पूछा गया, उन्हें क्यों लगता है कि अभी स्कूल नहीं खुलने चाहिए? 47% लोगों ने कुछ इस तरह के कारण बताए – वो अपने बच्चों को किसी  ख़तरे में नहीं डालना चाहते, बच्चे अगर घर में संक्रमण ले आएंगे तो घर के बुज़ुर्गों को गंभीर ख़तरा हो सकता है, सबसे बड़ी बात की  स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग बहुत  मुश्किल होगी ।  इसके इलावा कुछ लोगों को ये भी लगता है कि स्कूल खुलने से कोविड-19 और ज़्यादा तेज़ी से फैलेगा  ।  – स्कूल कैसे खोले

कुछ दिन पहले केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने स्कूल के घंटे कम करने पर विचार करने की बात कही थी, लेकिन फिर भी ज़्यादातर माता पिता  फिलहाल स्कूल खोले जाने के पक्ष में नहीं हैं ।

हालांकि ब्रिटेन सरकार के साइंटिफिक एडवाइज़री ग्रुप फॉर इमरजेंसीज़ ने कहा है कि ऐसे कुछ, लेकिन बहुत ही  “सीमित” सबूत मिले हैं कि व्यस्कों के मुक़ाबले बच्चों के वायरस फैलाने की संभावना कम है । यानी ऐसी संभावना कम ही  है कि बच्चों के ज़रिए दूसरों में वायरस जा सकता है। 

ऐसे सबूतों का आधार कुछ हद तक उन देशों को बनाया गया है जहां स्कूल खुल चुके हैं । डेटा बताता है कि स्कूल खुलने के कदम ने कम्युनिटी ट्रांस्मिशन में कोई ख़ास भूमिका नहीं निभाई है । 

दुनियाभर के रिसर्चरों की एक टीम ने सभी सबूतों का रिव्यू करके पाया की  “ट्रांसमिशन में बच्चों की भूमिका साफ नहीं है, लेकिन लगातार मिलने वाले सबूत दिखाते हैं कि बच्चों के संक्रमण की चपेट में आने की संभावना कम होती है, और ऐसा भी कम ही होता है कि बच्चे इंफेक्शन घर में लेकर आएं । 

स्कूल में ज़्यादा बच्चे आएंगे, इसका मतलब ज़्यादा शिक्षक भी अपनी ड्यूटी  पर आएंगे, और बच्चों के मां-बाप स्कूल के गेट पर होंगे, और ये साफ़ नहीं है कि जब इतने व्यस्क भी आपस में संपर्क में आएंगे तो कोरोना वायरस के फैलाव पर कितना असर पड़ेगा  । 

खैर जो भी हो हमें स्कूल खोलने में बहुत ही सावधानी बरतनी होगी ।

जब भी हम स्कूल खोलेंगे तो हमें शिक्षकों को अच्छे से प्रशिक्षित करना होगा, सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना है, जिस क्लास में पहले 50 बच्चे बैठते थे, हो सकता है अब वहां 20 ही बैठें । उनको दूर-दूर बिठाना होगा ।उनको प्रोपर मास्क और सभी सुरक्षा की चीज़ें पहनाकर बिठाना होगा. क्लासरूम के बाहर सैनेटाइज़र लगे होने चाहिए ।  पीने वाले पानी के पास भी  सैनेटाइज़ लगे होने चाहिए । हर जगह पर हैंड सैनेटाइज़र होने चाहिए और टीचर्स को ये भी पता होना चाहिए कि अगर बच्चा बीमार होता है तो उन्हें क्या करना है। ये तो तय है की स्कूल खोलने में बहुत ही सावधानी बरतनी होगी ।