शिक्षा का हमारे जीवन में एक मुख्य स्थान हैं। हमारे व्यक्तित्व के नव निर्माण में मुख्य योगदान शिक्षा का ही होता हैं। शिक्षित होने से हमें ज्ञान के साथ-साथ अच्छे पद की प्राप्ति होनें की प्रबल संभावना होती हैं। ज्ञान प्राप्ति से हमारे जीवन से अज्ञान रुपी अन्धकार दूर होता हैं और जीवन ज्ञान की ज्योति से प्रकाशित हो जाता हैं। शिक्षा से हमें जो ज्ञान प्राप्त होता हैं उसकी वजह से हम हर विषय में उचित और अनुचित का भलीभांति निर्णय ले पानें में समर्थ हो जाते हैं। उचित अनुचित का बोध एक शिक्षित व्यक्ति भलीभांति कर सकता हैं। अशिक्षित व्यक्ति उचित अनुचित में पर्याप्त भेद कर पानें में अक्षम होता हैं।
हम बचपन से ही बुजुर्गो के मुख से एक कहावत बार-बार सुना करते थे कि “पढ़ोगे, लिखोगे तो बनोंगे नवाब, खेलोगे, कूदोगे तो होओगे खराब”। इस कहावत को सुनने के बाद ऐसा लगता था कि क्या वास्तव में खेलनें से हम खराब हो जायेंगे अर्थात हमारा करियर चौपट हो जायेगा? क्या खेलकूद में करियर नहीं बनाया जा सकता हैं? आखिर ये कहावत क्यों बनी हैं? क्या जीवन में सिर्फ़ पढ़ाई लिखाई का ही महत्त्व हैं खेलकूद का कोई महत्त्व नहीं हैं?
आज के परिवेश में शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद का बड़ा महत्त्व है। इससे बच्चों में शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास होता है। बच्चों के विचारों में निखार आता है। बच्चों का खेल देखते हुए उन्होंने कहा कि आज इस मैदान पर सुनहरे भविष्य के संकेत भी मिलने लगे हैं। खेल को आज के बच्चे कैरियर के रूप में भी अपनाने लगे हैं।
शिक्षा के साथ ही खेल उतने ही आवश्यक है जितनी पढ़ाई. पढ़ाई के लिए हमेशा स्वस्थ मस्तिष्क चाहिए. स्वस्थ मस्तिष्क स्वस्थ शरीर में ही निवास करता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए खेल अनिवार्य हैं। खेल समय की बर्बादी नहीं है। खेल एक अच्छा व्यायाम है।
खेलों से ही कसरत होती है। खाया-पीया सब हजम होता है। छोटी-मोटी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं। खूब भूख लगती है और पाचन क्रिया में सुधार होता है। बढ़ने वाले लडुकों या लड़कियों में का शारीरिक विकास होता है। खेलों से चुस्ती-स्कूर्ति प्राप्त होती है। आलस्य दूर भागता है, चित्त प्रसन्न होता है। चित्त की इस अवस्था में पढ़ाई जैसा कोई भी कार्य भली भाँति किया जा सकता है।
जीवन स्वयं में एक खेल है जिस प्रकार खेल में उतार-चढ़ाव आते हैं तथा हार-जीत होती है, ठीक उसी प्रकार जीवन में भी ऐसी परिस्थितियां आती हैं। खेल का खेलना हार-जीत से अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। जीवन में परस्पर सहयोग और प्रेम का बहुत महत्त्व है। इनसे ही ससार रहने योग्य बनता है। खेलकूद से परस्पर सहयोग तथा प्रेम की भावना बढ़ती है। मैच तथा खेल हमेशा टीम भावना से खेले जाते हैं। खेल का सबसे बड़ा उद्देश्य मतभेद तथा दूरियों को मिटाना है। यह खेल ही है जो सम्पूर्ण मानव जाति को एक सूत्र में पिरोने की क्षमता रखता है फिर चाहे वह क्रिकेट हो या हॉकी। इनसे परस्पर सहयोग की भावना जागृत होती है। सहयोग एकता का ही दूसरा नाम है। एकता से समाज अथवा राष्ट्र मजबूत तथा शक्तिशाली बनता है। अनुशासन का जीवन में बहुत महत्त्व है। खेलों से अनुशासन में रहने का प्रशिक्षण मिलता है। कोई भी खेल अनुशासन अथवा नियमों का पाबन्द रहकर ही खेला जाता है। अनुशासन का पाबन्द रहकर मनुष्य जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर होता है।